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Metroid arthritis ie arthritis and joint pain is such a disease, that it is very difficult to tell any definite reason and time for its occurrence. That is why in the language of medical science, it is called auto-immune disease. Whereas common joint pain i.e. Arthritis is not a disease but many types of problems are included. These include swelling and severe pain in the joints of the hands and feet. Arthritis is generally considered to be an incurable disease of the elderly, but this notion is not correct. Rheumatoid arthritis can be one of the reasons for joint pain in this disease. Rheumatoid arthritis usually affects middle-aged people. Not only this, four times more women fall prey to it than men.
मेटॉयड अर्थराइटिस यानी गठिया और जोड़ों का दर्द ऐसी बीमारी है, जिसके होने की कोई निश्चित वजह और समय बता पाना बहुत ही मुश्किल है। इसीलिए मेडिकल साइंस की भाषा में इसे आटो-इम्यून डिज़ीज़ कहा जाता है। जबकि आम जोड़ों के दर्द यानी अर्थराइटिस में एक बीमारी न होकर कई तरह की परेशानियां शुमार होती हैं। इनमें सूजन आना और हाथ-पैर के जोड़ों में तेज दर्द खास हैं। आमतौर पर अर्थराइटिस को बुजुर्गो की लाइलाज बीमारी माना जाता है, लेकिन यह धारणा सही नहीं है। इस बीमारी में होने वाले जोड़ों के दर्द की एक वजह रूमेटॉयड अर्थराइटिस हो सकती है। रूमेटॉयड अर्थराइटिस आमतौर पर मध्य उम्र के लोगों को अपना शिकार बनाती है। यही नहीं, पुरुषों के मुकाबले चार गुणा ज्यादा महिलाएं इसकी शिकार बनाती हैं।
Rheumatoid Arthritis/ रूमेटॉयड अर्थराइटिस.
Actually, our immune system is made up of proteins, biochemicals, and cells, which protect our body from external injuries and intruders, such as bacteria and viruses. But sometimes this system also goes wrong and it starts destroying the proteins present in the body, which leads to autoimmune diseases like rheumatoid arthritis. Rheumatoid arthritis affects the joints the most, but after a period, it starts affecting the nervous system and lungs as well.
Rheumatoid arthritis usually occurs in people between the ages of 30 and 45. It is possible to treat it with medicines if it is diagnosed at the right time. To detect it at the right time, some tests have to be done with the opinion of the rheumatologist. You should be alert when you complain of stiffness, pain, or swelling in the joints. If it is not treated at the right time, then there is a risk of the body becoming unformed.
It is also important to get treatment for Rheumatoid Arthritis because it is a very painful disease. Without its treatment, the life of the patient can be reduced by six to eight years. The suffering that its patients suffer, and its effect on other people in the family is also very bad. The patient becomes dependent on others when the body becomes deformed or the organs are damaged, and the family members have to serve him. Such a patient is not able to work, and the whole family has to suffer as a result.
दरअसल, हमारा इम्यून सिस्टम प्रोटीन, बायोकेमिकल्स और कोशिकाओं से मिलकर बनता है, जो हमारे शरीर को बाहरी चोटों और घुसपैठियों, जैसेकि बैक्टीरिया तथा वायरस से सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन कभी-कभी इस सिस्टम से भी गलती हो जाती है और यह शरीर में मौजूद प्रोटीन्स को ही नष्ट करना शुरू कर देता है, जिससे रूमेटॉयड अर्थराइटिस जैसी ऑटो-इम्यून बीमारियां हो जाती हैं। रूमेटॉयड अर्थराइटिस का असर जोड़ों पर सबसे ज्यादा होता है, लेकिन एक सीमा के बाद यह स्नायुतंत्र और फेफड़ों पर भी असर डालने लगता है।
रूमेटॉयड अर्थराइटिस आमतौर पर 30 से 45 साल के लोगों को होता है। सही समय पर इसका डायग्नोसिस होने पर दवाओं से इसका इलाज संभव है। इसका पता सही समय पर लगाने के लिए रूमेटॉलोजिस्ट की राय से कुछ टेस्ट कराने पड़ते हैं। जब आपको जोड़ों में अकड़न, दर्द या सूजन की शिकायत हो तो चेत जाना चाहिए। अगर ठीक समय पर इसका इलाज न कराया जाए, तो शरीर बेडौल हो जाने का जोखिम रहता है।
रूमेटॉयड अर्थराइटिस का इलाज कराना इसलिए भी जरूरी है कि यह बहुत ही दर्दनाक बीमारी है। इसके इलाज के अभाव में मरीज की उम्र छह से आठ साल घट सकती है। इसके मरीजों को जो तकलीफ होती है, उसका प्रभाव परिवार के दूसरे लोगों पर भी काफी बुरा पड़ता है। शरीर बेडौल हो जाने या अंग खराब हो जाने पर मरीज दूसरों पर आश्रित हो जाता है, और घरवालों को उसकी सेवा करनी पड़ती है। ऐसा मरीज काम करने लायक नहीं रहता, और इसका नतीजा पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है।
Symptoms of Rheumatoid Arthritis/ रूमेटॉयड अर्थराइटिस के लक्षण.
First stage: In the beginning, the patient has a frequent fever, muscle aches, always feeling tired and broken, loss of appetite, and weight loss.
Second stage: I do not feel like getting out of bed in the morning, my hands and feet get so stiff that it takes 15-20 minutes to become normal. But then there is no fatigue, no pain, and no swelling throughout the day. It means you have rheumatoid arthritis, not arthritis.
Final Stage: There is so much pain in all the joints of the body that the scream comes out only after moving them, especially in the morning. Apart from this, the body becomes hot, there is a red rash and there is also complaint of burning. Wherever there is a pain in the joints, swelling is also common in this disease. Hard circular lumps emerge around the joints, which also crack when the hands and feet are moved. Moving any part of the body causes pain, burning, and swelling.
प्रथम चरण : शुरुआत में मरीज को बार-बार बुखार आता है, मांसपेशियों में दर्द रहता है, हमेशा थकान और टूटन महसूस होती है, भूख कम हो जाती है और वजन घटने लगता है।
द्वितीय चरण : सुबह बिस्तर से उठने का मन नहीं करता, हाथ-पैर इस कदर अकड़ जाते हैं कि नॉर्मल होने में 15-20 मिनट लग जाते हैं। मगर फिर दिन भर न थकान होती है, न दर्द और न सूजन। इसका मतलब है आपको अर्थराइटिस नहीं, रूमेटॉयड अर्थराइटिस हो गया है।
फाइनल स्टेज : शरीर के तमाम जोड़ों में इतना दर्द होता है कि उन्हें हिलाने पर ही चीख निकल जाए, खासकर सुबह के समय। इसके अलावा शरीर गर्म हो जाता है, लाल चकत्ते पड़ जाते हैं और जलन की शिकायत भी होती है। जोड़ों में जहां-जहां दर्द होता है, वहां सूजन आना भी इस बीमारी में आम है। जोड़ों के इर्द-गिर्द सख्त गोलाकार गांठें जैसी उभर आती हैं, जो हाथ पैर हिलाने पर चटकती भी हैं। शरीर के किसी भी अंग को हिलाने पर दर्द, जलन और सूजन की तकलीफ झेलनी पड़ती है।
Treatment of Rheumatoid arthritis/ रूमेटॉयड अर्थराइटिस का इलाज.
Usually, people troubled by arthritis and joint pain go to the shelter of painkillers, but this is not enough. For this, special medicines have to be taken under the 'DMARD' formula on the advice of a doctor, which means disease-modified-antirheumatic-drugs. Although these medicines are a bit expensive, the side effects caused by joint pain can be avoided. Such patients also have to resort to physiotherapy and exercise.
Apart from this, patients with Rheumatoid Arthritis should always keep themselves busy and physically active. But it will not be right to do so when the effect of the disease is fast. Take rest when there is severe pain, swelling, or burning in the joints. In this case, mild exercise can reduce joint stiffness. Walking, aerobics and light muscle exercises also provide relief to the patient.
Not only this but keeping a deep knowledge about the disease can also prove to be very helpful in reducing the suffering of patients with rheumatoid arthritis. Many people avoid taking medicines for fear of side effects. They should understand that the medicines for Rheumatoid Arthritis have become much more advanced than before and their side effects have also reduced a lot. We are saying this because nowadays medicines are launched in the market only after very rigorous and deep testing in terms of safety, and that is why they prove to be more effective than before.
As far as food is concerned, through this, the symptoms of rheumatoid arthritis can definitely be reduced in time. In some people, those who avoid saturated fats and take supplements rich in unsaturated fats, such as fish oil, have fewer symptoms of the disease. Doctors say that the intake of three grams of fish body oil (not fish liver oil) in a day shows its effect.
आमतौर पर लोग गठिया और जोड़ों के दर्द से परेशान होकर दर्द निवारक दवाओं की शरण में चले जाते हैं, लेकिन यही काफी नहीं होता। इसके लिए डॉक्टर की सलाह से ‘डीएमएआरडी’ फॉमरूले के तहत खास दवाएं लेनी होती हैं, जिसका मतलब है डिज़ीज़-मोडिफाइड-एंटीरूमेटिक-ड्रग्स। हालांकि ये दवाएं थोड़ी महंगी होती हैं, लेकिन इनसे जोड़ों के दर्द से होने वाले दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। ऐसे मरीजों को फिजियोथैरेपी और कसरत का सहारा भी लेना पड़ता है।
इसके अलावा रूमेटॉयड अर्थराइटिस के मरीजों को चाहिए कि वे हमेशा खुद को व्यस्त और शारीरिक तौर पर सक्रिय रखें। लेकिन बीमारी का असर तेज होने पर ऐसा करना ठीक नहीं होगा। जब जोड़ों में ज्यादा दर्द, सूजन या जलन हो तो आराम करें। ऐसे में हल्के व्यायाम से जोड़ों की अकड़न कम हो सकती है। टहलना, ऐरोबिक्स और मांसपेशियों की हल्की कसरत भी मरीज को आराम देती है।
यही नहीं, बीमारी के बारे में गहरी जानकारी रखना भी रूमेटॉयड अर्थराइटिस के मरीजों की तकलीफ कम करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। कई लोग साइड इफैक्ट्स के डर से दवाएं खाने से परहेज करते हैं। उन्हें समझ लेना चाहिए कि रूमेटॉयड अर्थराइटिस की दवाएं पहले की तुलना में काफी एडवांस्ड हो चुकी हैं और इनके साइड इफैक्ट्स भी काफी कम हो गए हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि आजकल दवाएं सुरक्षा के लिहाज से काफी कड़े और गहरे परीक्षण के बाद ही बाजार में उतारी जाती हैं, और इसीलिए ये पहले से ज्यादा असरदार साबित होती हैं।
जहां तक खानपान का सवाल है, इसके जरिए रूमेटॉयड अर्थराइटिस के लक्षणों को समय रहते कम जरूर किया जा सकता है। कुछ लोगों में, जो सैचुरेटेड फैट्स से बचते हैं, और अनसैचुरेटेड फैट्स से भरपूर खुराक जैसे कि फिश ऑयल वगैरह लेते हैं, उनमें इस बीमारी के लक्षण कम ही नजर आते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि एक दिन में तीन ग्राम फिश बॉडी ऑयल (फिश लिवर ऑयल नहीं) का इनटेक अपना असर दिखाता है।
What to do, whatnot./ क्या करें, क्या नहीं.
रूमेटॉयड अर्थराइटिस के मरीजों को ये बातें गांठ बांध लेनी चाहिए
- This disease demands early treatment. If you start treatment on time, then the pain will not reach its peak.
- Do not self-medicate. Continuing to take painkillers can aggravate the disease and also cause discomfort. Later on, the situation may get out of control.
- Discuss the treatment options in detail with a specialist doctor. Adopt the method of treatment that is more beneficial in your case. Choosing the wrong therapy can also cost you to take it.
- After the start of treatment, inform the doctor in detail about the side effects and side effects of the medicine.
- Follow the physiotherapy and rehabilitation program in a disciplined manner. It is very important to have expert guidance in this.
- Don't miss out on rest. Whatever exercise you do, be sure to consult with your doctor.
- Make a file of your medical records, and keep the doctor's knowledge of every small and big experience apart from the test reports.
- Rheumatoid Arthritis patients do not face any obstacle in getting married or raising a family. There is nothing to be worried about in this regard. But before conceiving, definitely take the advice of the doctor, because there is a need for caution in taking some of its medicines during pregnancy.
- ये बीमारी जल्दी इलाज मांगती है। समय से इलाज शुरू कर देंगे, तो तकलीफ चरम तक नहीं पहुंचेगी।
- सेल्फ मेडिकेशन न करें। दर्दनाशक लेते रहने से बीमारी बढ़ सकती है और तकलीफ भी। इससे आगे चलकर हालात काबू से बाहर भी हो सकते हैं।
- विशेषज्ञ डॉक्टर से इलाज के विकल्पों पर विस्तार से चर्चा करें। इलाज की जो पद्धति आपके मामले में ज्यादा फायदेमंद हो, उसे ही अपनाएं। गलत थैरेपी का चुनाव करने से आपको लेने के देने भी पड़ सकते हैं।
- इलाज शुरू होने के बाद दवाओं के विपरीत प्रभाव और साइड इफैक्ट के बारे में डॉक्टर को विस्तार से जानकारी दें।
- फिजियोथैरेपी और पुनर्वास कार्यक्रम का पालन अनुशासित ढंग से करें। इसमें विशेषज्ञ की गाइडेंस होनी बहुत जरूरी है।
- आराम में कोताही न करें। जो भी कसरत करें, उसके बारे में अपने डॉक्टर से जरूर मशविरा कर लें।
- अपने मेडिकल रिकॉर्ड की फाइल बनाएं, और टेस्ट रिपोर्ट्स के अलावा हर छोटे-बड़े अनुभव को भी इसमें दर्ज करके डॉक्टर की जानकारी में लाते रहें।
- रूमेटॉयड अर्थराइटिस के मरीजों को शादी करने या परिवार बढ़ाने में कोई रुकावट नहीं आती। इस लिहाज से परेशान होने की कोई बात नहीं है। लेकिन गर्भधारण करने से पहले डॉक्टर की राय जरूर ले लें, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान इसकी कुछ दवाएं लेने में सावधानी की दरकार होती है।
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